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प्राकृतिक संसाधन: भूगोल अध्याय परिचय

प्राकृतिक संसाधन हमारे जीवन के अभिन्न अंग होते हैं, क्योंकि इन्हीं संसाधनों से हम अपनी दैनिक आवश्यकताएँ पूरी करते हैं। इनमें से कुछ संसाधन सीमित होते हैं, जबकि कुछ नवीकरणीय होते हैं। प्राकृतिक संसाधन शब्द का अर्थ उन वस्तुओं से है जो पृथ्वी से हमें उपलब्ध होती हैं और जिनका उपयोग हम अपनी जीवनशैली को बेहतर बनाने के लिए करते हैं। इन संसाधनों में भूमि, जल, खनिज, वन, ऊर्जा आदि शामिल हैं। भूगोल के इस अध्याय में हम प्राकृतिक संसाधनों के प्रकार, उनके महत्व, उपयोग और उनके संरक्षण के तरीकों पर चर्चा करेंगे।

प्राकृतिक संसाधन (Natural Resources) क्या होते हैं?

प्राकृतिक संसाधन वे वस्तुएं हैं जो हमें प्रकृति से प्राप्त होती हैं और जिनका उपयोग हम अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए करते हैं। ये संसाधन सभी जीवों की जीवनचर्या में अहम भूमिका निभाते हैं। प्राकृतिक संसाधनों का वर्गीकरण उनके प्रकार और उपलब्धता के आधार पर किया जाता है। प्राकृतिक संसाधनों के बिना मानवीय सभ्यता का अस्तित्व असंभव है, क्योंकि इनका प्रयोग ऊर्जा, भोजन, पानी, वस्त्र, आवास, चिकित्सा, उद्योग आदि के लिए किया जाता है।

प्राकृतिक संसाधनों के प्रकार

प्राकृतिक संसाधनों को विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। प्रत्येक प्रकार के संसाधन का अपना विशिष्ट महत्व होता है।

  1. नवीकरणीय संसाधन (Renewable Resources)

नवीकरणीय संसाधन वे होते हैं जो प्राकृतिक रूप से पुनः उत्पन्न होते रहते हैं और जिनका अत्यधिक उपयोग भी इनकी उपलब्धता पर ज्यादा असर नहीं डालता। उदाहरण के लिए, सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल ऊर्जा, और जैविक ऊर्जा। इन संसाधनों का निरंतर उपयोग किया जा सकता है, क्योंकि ये प्राकृतिक रूप से बिना किसी अंतराल के फिर से उत्पन्न होते रहते हैं। इनका उपयोग पर्यावरण के दृष्टिकोण से भी सुरक्षित है।

  • सौर ऊर्जा (Solar Energy): सूर्य से प्राप्त ऊर्जा को सौर पैनल के माध्यम से विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है। यह संसाधन न केवल नवीकरणीय है, बल्कि प्रदूषण मुक्त भी है।

  • पवन ऊर्जा (Wind Energy): हवा के बहाव से उत्पन्न ऊर्जा को पवन चक्कियों द्वारा विद्युत में बदला जाता है।

  • जल ऊर्जा (Hydropower): जल के प्रवाह से उत्पन्न ऊर्जा का उपयोग जल विद्युत संयंत्रों द्वारा विद्युत उत्पादन में किया जाता है।

  1. अपरिमेय या गैर-नवीकरणीय संसाधन (Non-renewable Resources)

अपरिमेय संसाधन वे होते हैं जिनका निर्माण पृथ्वी में सीमित मात्रा में होता है और यदि इन्हें अत्यधिक उपयोग किया जाए तो ये समाप्त हो सकते हैं। इन संसाधनों का पुनः निर्माण बहुत धीमी गति से होता है, जिससे इनका दोहन एक समस्या बन सकता है। मुख्य रूप से ये खनिज और ऊर्जा के स्रोत होते हैं।

  • कोयला (Coal): कोयला एक प्रमुख ऊर्जा संसाधन है, जिसका उपयोग उद्योगों और बिजली घरों में होता है। हालांकि, कोयला एक नवीकरणीय संसाधन नहीं है, और इसका अत्यधिक उपयोग पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालता है।

  • पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस (Petroleum and Natural Gas): ये भी गैर-नवीकरणीय संसाधन हैं, जिनका उपयोग परिवहन, उद्योगों और घरेलू उपयोग के लिए किया जाता है।

  • खनिज संसाधन (Mineral Resources): जैसे सोना, चांदी, तांबा, लोहा, आदि। इनका उपयोग विभिन्न उद्योगों, निर्माण कार्य और तकनीकी उपकरणों में होता है।

  1. जैविक संसाधन (Biological Resources)

जैविक संसाधन उन जीवों से प्राप्त होते हैं जिन्हें मनुष्य अपनी आवश्यकताओं के लिए उपयोग करता है। ये संसाधन जंगलों, खेतों, और जलाशयों से प्राप्त होते हैं। इसमें मुख्य रूप से वन्य जीवन, कृषि उत्पाद और मछली पालन शामिल होते हैं।

  • वन संसाधन (Forest Resources): जंगलों से लकड़ी, रेजिन, बांस, औषधियाँ और अन्य वन्य उत्पाद प्राप्त होते हैं।

  • कृषि उत्पाद (Agricultural Products): अनाज, फल, सब्जियाँ, और अन्य कृषि उत्पाद जैविक संसाधन के उदाहरण हैं।

प्राकृतिक संसाधनों का महत्व

प्राकृतिक संसाधन मनुष्य की जीवन रेखा हैं। इनका उपयोग न केवल भोजन, पानी, और आवास प्राप्त करने के लिए होता है, बल्कि औद्योगिक गतिविधियों, परिवहन, ऊर्जा उत्पादन और चिकित्सा क्षेत्र में भी इनका महत्वपूर्ण स्थान है।

  1. जीवन की मूल आवश्यकताएँ: प्राकृतिक संसाधनों का सबसे पहला और मुख्य उपयोग मनुष्य की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में होता है, जैसे भोजन, पानी, और आवास।

  2. औद्योगिक विकास: खनिजों और ऊर्जा संसाधनों का उपयोग उद्योगों में किया जाता है। उदाहरण के लिए, कोयला और पेट्रोलियम का उपयोग बिजली उत्पादन, वाहनों, और अन्य औद्योगिक कार्यों में होता है।

  3. ऊर्जा उत्पादन: पेट्रोलियम, कोयला, और प्राकृतिक गैस जैसे संसाधन बिजली घरों और अन्य उद्योगों के लिए ऊर्जा का स्रोत होते हैं।

  4. पर्यावरण संरक्षण: नवीकरणीय संसाधनों का उपयोग पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित और स्थिर है। ये प्रदूषण को कम करते हैं और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाते हैं।

प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन और उसके परिणाम

प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन पृथ्वी के पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र पर बुरा प्रभाव डालता है। उदाहरण के तौर पर, वनों की अंधाधुंध कटाई से प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, और जैव विविधता में कमी आती है। खनिज संसाधनों का अत्यधिक दोहन पृथ्वी के भीतर के संसाधनों को समाप्त कर सकता है और प्रदूषण को बढ़ा सकता है।

प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और प्रबंधन

  1. संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग: संसाधनों का अत्यधिक उपयोग रोकने के लिए इन्हें सही तरीके से और विवेकपूर्ण रूप से इस्तेमाल करना चाहिए।

  2. संसाधनों का पुनर्चक्रण (Recycling): पुराने संसाधनों का पुनः उपयोग करके उनका दोहन कम किया जा सकता है।

  3. नवीकरणीय ऊर्जा का प्रयोग: सौर, पवन, और जल ऊर्जा जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग बढ़ाने से पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम की जा सकती है।

  4. वृक्षारोपण और वन संरक्षण: वृक्षों का संरक्षण और नए पौधे लगाना भी पर्यावरणीय संकट को कम करने के लिए आवश्यक है।

निष्कर्ष

प्राकृतिक संसाधन हमारे जीवन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इनका दोहन बिना सोच-समझ के करना हमारे लिए और पृथ्वी के लिए खतरे की घंटी हो सकता है। इन संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग, संरक्षण और पुनर्चक्रण से हम इन्हें आने वाली पीढ़ियों के लिए बचा सकते हैं। यह केवल हमारे लिए नहीं, बल्कि सम्पूर्ण पृथ्वी के लिए आवश्यक है कि हम इन संसाधनों का सही तरीके से उपयोग करें और उन्हें बचाकर रखें।


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